How to deal with UTI problem during pregnancy in Hindi
Synopsis: गर्भावस्था के दौरान यूटीआई समस्या से कैसे निपटें? यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI in hindi ) की समस्या आख़िर गर्भावस्था के दौरान ही क्यों बढ़ जाती है ? इससे जुड़े प्रमुख लक्षण, गर्भावस्था के दौरान यूटीआई समस्या से बचाव के तरीके
मेरे सवाल के इस लेख में हम आपको बताने वाले है गर्भावस्था के दौरान यूटीआई समस्या से कैसे निपटा जा सकता है?
पर ग़ौर करने वाली बात यह है कि यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI in hindi ) की समस्या आख़िर गर्भावस्था के दौरान ही क्यों बढ़ जाती है ?
तो हम आपको बता दें कि, ई-कोलई (E-Coli) नाम के बैक्टेरियल इन्फेक्शन की वजह से यूटीआई इन्फेक्शन (UTI infection) होने का खतरा और अधिक बढ़ जाता है। चूकि गर्भावस्था/ प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं की बॉडी बहुत ज़्यादा सेंसिटिव होती है जिसके कारण यह समस्या उत्पन्न हो जाती है इसी दौरान गर्भ में भ्रूण (शिशु ) का विकास होना शुरू होने लगता है जिसकी वजह से ब्लेडर पर और यूरिनरी ट्रैक्ट पर प्रेशर पड़ता है जिसकी वजह से बेक्टेरिया आसानी से अंदर की तरफ ट्रेप हो जाता है या चला जाता हैं। आप नीचे दिए गए चित्र में देखकर इसे आसानी से समझ सकते है।
यही मुख्य कारण गर्भवती महिलाओं में UTI इन्फेक्शन की समस्या को पैदा करता है।
UTI कारण और उपचार
आइये जानते है
UTI इन्फेक्शन से जुड़े प्रमुख लक्षण
(Symptoms of UTI in Hindi)
- मूत्र (यूरिन) पास करते समय दर्द या जलन का अनुभव होना।
- बार-बार बाथरूम जाने का अहसास होना।
- अत्यधिक मात्रा में यूरिन का उत्पादन होना।
- कभी ज़्यादा मूत्र आना और कभी कम मूत्र आना ।
- मूत्र में अजीब सी बदबू का महसूस होना ।
- यूरिन पास करते टाइम खून का पेशाब के साथ दिखाई देना।
- पीले रंग की पेशाब का आना।
- बार-बार होठों का सूखना।
- पेशाब करते समय पेट के निचले हिस्से में ऐंठन और खिचाव का होना।
- शरीर में थकान और वीकनेस सा लगना।
- प्रेगनेंसी के समय यूरिन इन्फेक्शन से ग्रसित हो जाना।
- घंटो समय तक पेशाब को रोके रखना।
- महिलाओं में पीरियड्स ख़त्म होने के दौरान UTI इन्फेक्शन।
- डायबटीज़ या शुगर की समस्या हो जाने के दौरान।
- सेक्स के दौरान भी कई पुरुषों या महिलाओं में Urine Infection की समस्या हो सकती है।
अगर आपको इन सभी लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखाई पड़ते है तो तुरंत अपने डॉक्टर्स या गायनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करें। जिससे आपको कन्फर्म हो जाये की कही आप UTI से ग्रसित तो नहीं है। अगर हो भी गए है तो वह आपको इसके उपचार के लिए कई विशेष सलाह देंगे।
वैसे तो यह इन्फेक्शन किसी को भी हो सकता है पर प्रेगनेंसी के समय UTI का खतरा बढ़ जाता है जिसका प्रभाव माँ और बच्चे दोनों पर पड़ता है यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाये तो मिसकैरेज की नौबत भी आ सकती है और दुनियाँ में आने के पहले ही अपने बच्चे को खो सकती है इसलिए UTI की प्रॉब्लम को बिल्कुल भी लाइट न समझें और समय रहते ही इसका इलाज करवा लें।
अब जान लेते है गर्भावस्था के दौरान यूटीआई समस्या से बचाव के लिए आप कौन से कदम उठा सकते है।
जो निम्नलिखित है।
गर्भावस्था के दौरान यूटीआई समस्या से बचाव
(How to prevent UTI during pregnancy in Hindi)
1.
यह तो हम सभी जानते है UTI की प्रॉब्लम होते ही बार-बार यूरिन के लिए जाना होता है, हो सके तो जितनी बार आप वॉशरूम के लिए जाए आप अपने प्राइवेट पार्ट को ज़रूर से पानी की सहायता से धो लें या फिर टिशू पेपर का इस्तमाल करें।
2.
गर्भावस्था के दौरान अपने पेट का विशेष ध्यान रखे पर्याप्त मात्रा में पानी पीये,जिससे आपका पेट अच्छा साफ होगा और UTI की प्रॉब्लम होने की संभावना भी कम होंगी।
3.
पेट साफ रखने के लिए फाइबर युक्त आहार (सलाद) लें तथा विटामिन सी युक्त फलो को शामिल करे जैसे – अंगूर ,संतरा ,किवी ,तरबूज़ एवं सेब,अनार नियमित रूप से लें ।
4.
जितनी बार यूरिन/पेशाब आये उतनी बार जाये रोके बिल्कुल भी नहीं ज्यादा देर तक पेशाब को रोके रखना UTI की समस्या को बढ़ा सकता है। जिसका असर किडनी पर पड़ता हैं।
5.
UTI कि समस्या से बचने के लिए दवा का सही उपयोग केवल डॉक्टर या गायनेकोलॉजिस्ट के परामर्श के बाद ही करें जो वह जो दवाइयाँ सजेस्ट करें उन्ही को लें।
6.
अपने इंटरनल बॉडी पार्ट्स की साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखें, खासकर अंडरवियर को साफ रखें।
7.
अपनी बॉडी को हायड्रेट रखने के लिए और इन्फेक्शन /संक्रमण से बचाने के लिए नियमित रूप से नारियल पानी लें।
8.
ढ़ीले और सूती कपड़ो का चयन करें जिससे UTI के बचाव में मदद मिल सकें।
9.
मांसाहरी खाद्य पदार्थों से दूर रहे।
10.
गर्भावस्था के दौरान शरीरिक सबंध बनाने से अपने आपको दूर रखे क्यों कि संक्रमण का खतरा किसी भी रूप में हो सकता है।
इन सभी बातों को ध्यान में रखकर आप गर्भावस्था/प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली यूटीआई समस्या (UTI problem in hindi) से बच सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (People also asked)
1.
गर्भावस्था के दौरान शरीरिक सबंध बनाने से अपने आपको दूर रखे क्यों कि संक्रमण का खतरा किसी भी रूप में हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान, यूरीनालिसिस और यूरिन कल्चर के माध्यम से यूटीआई की पहचान की जा सकती है। यूरीनालिसिस में मूत्र के रासायनिक घटकों की जांच की जाती है, जबकि यूरिन कल्चर में जीवाणुओं की पहचान की जाती है।
2.
गर्भावस्था में मूत्र पथ के संक्रमण का जोखिम कितने सप्ताह तक होता है?
मूत्र पथ संक्रमण (यूटीआई), जिसे मूत्राशय संक्रमण भी कहा जाता है, मूत्र पथ में एक प्रकार की बैक्टीरियल सूजन होती है जो महिलाओं में गर्भावस्था के छठवे (6th week) हफ्ते से गर्भावस्था के 24वें हफ्ते तक होती है। यही वह समय होता ही जिसमे UTI इन्फेक्शन होने का खतरा और अधिक बढ़ जाता हैं।
3.
गर्भावस्था के दौरान यूटीआई क्यों अधिक आम है?
गर्भावस्था के दौरान यूटीआई की समस्या अधिक आम हो जाती है क्योंकि महिलाओं के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जो मूत्र पथ के बैक्टीरियल विकास को बढ़ा सकते हैं। साथ ही, गर्भावस्था के दौरान यूरीन के प्रवाह में बदलाव और मूत्राशय के आकार में वृद्धि भी होती है, जिससे यूटीआई का खतरा बढ़ाता है।
4.
गर्भावस्था के दौरान यूटीआई का कारण क्या हो सकता है?
ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस ये बैक्टीरिया आमतौर पर आंत में पाए जाते हैं, जिनकी एक्टिवनेस गर्भावस्था के दौरान ज्यादा बढ़ जाती है जो यूटीआई का कारण बन सकता है।
जैसे-जैसे जिससे गर्भ बढ़ता जाता है ब्लेडर पर और यूरिनरी ट्रैक्ट पर प्रेशर पड़ता है जिसकी वजह से बैक्टेरिया आसानी से अंदर की तरफ प्रवेश कर जाता है जिसके कारण यूरेथ्रा से किडनी की तरफ यूरिन का प्रवाह बढ़ जाता है ब्लेडर का आकर भी धीरे-धीरे कम हो जाता है। और यूरेथ्रा भी डाइलेटेड होना शुरू कर देता है जिसकी वजह से इन्फेक्शन होने का खतराप्रेग्नेंसी के दौरन बढ़ जाता है।
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको गर्भावस्था के दौरन होने वाली सबसे आम समस्या UTI इन्फेक्शन (UTI Infection in Hindi) जानकारी दी। आशा है यह सुझाव आपके लिए और किसी जरूरतमंद महिला जो UTI से जूझ रही है उनके लिए उपयोगी सिद्ध हो जरूर शेयर करें। आपके कुछ सुझाव हो वह भी हमें बताए।