Synopsis: आईवीएफ (IVF) क्या होता है(What is IVF in Hindi), आईवीएफ का full form, आईवीएफ कैसे होता है? आईवीएफ प्रक्रिया(IVF process in hindi), फायदे ,नुकसान, उपचार (IVF Treatment hindi), सावधानियाँ
माँ बनना हर किसी शादी-शुदा स्त्री या महिला के लिए बड़े ही सौभाग्य की बात होती है, परन्तु आज के समय में कुछ ऐसे कपल भी है जो बच्चे की चाह तो रखते है परन्तु कई बार उनके हाथ निराशा ही लगती है।
बांझपन एक पुरुष या महिला के प्रजनन प्रणाली से संबंधित एक रोग है, जिसके पीड़ित होने पर नियमित रूप से 12 महीने या उससे अधिक समय तक असुरक्षित यौन संबंध के बावजूद भी गर्भावस्था नहीं होती है।ऐसे में (IVF)तकनीक का सहारा लिया जाता हैं जो उन लोगो के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं।
Table of Content
- आईवीएफ (IVF) क्या है,क्यों कराया जाता हैं? (Full Form of IVF in Hindi)
- इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के लिए खुद को तैयार कैसे करें? (Preparing for IVF Treatment in Hindi)
- इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) की आवश्यकता किस स्थिति में होती है? (In which situations is IVF required in hindi)
- आईवीएफ उपचार से पहले पुरुष की जाँच (Tests For Man Before IVF Treatment In Hindi)
- आईवीएफ उपचार से पहले महिला की जाँच (Tests For Woman Before IVF Treatment In Hindi)
- आईवीएफ उपचार की प्रक्रिया (IVF Treatment Step By Step In Hindi)(IVF Process in hindi)
- इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के फायदे/लाभ (Benefits Of IVF Treatment In Hindi)
- इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के साइड इफेक्ट्स/जोख़िम (Side Effects Of IVF Treatment In Hindi)
- (Things To Do After IVF Treatment In Hindi)
- इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के बाद सावधानियाँ (Precautions after In Vitro Fertilization (IVF) in hindi)
- आपके सवाल जवाब (Answers to your questions)
आईवीएफ (IVF) क्या है, क्यों और कैसे होता है? (Full Form of IVF in Hindi)
सामान्य बोल चाल की भाषा में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (in vitro fertilization) को आईवीएफ कहा जाता है (Full form of IVF in hindi is इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) जिसका मतलब होता है आर्टिफिशल तरीके से फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया कर किसी “भ्रूण” को जन्म देना।
अब आपके लिए यह जानना भी ज़रूरी है की आखिर आईवीएफ (IVF) कराया क्यों जाता हैं …..
यदि किसी कपल को नॉर्मल प्रोसेस याने सेक्स के दौरान गर्भ नहीं ठहरता है,और वह सब तरफ से हताश हो चुके होते है तब उन्हें आईवीएफ (IVF) का ख्याल आता है क्यों किआईवीएफ के दौरान, महिला के अंडाणुओं और पुरुष के शुक्राणुओं को लैब में मिलाकर भ्रूण बनाया जाता है।
जब भ्रूण तैयार हो जाता है, तो उसे महिला के गर्भाशय में रखा जाता है और यह भ्रूण नॉर्मल शिशु/बेबी की तरह विसकसित होना शुरू कर देता है जिसे ही आईवीएफ (IVF) तकनीक कहा जाता है। हर साल दुनिया भर में लगभग 80 लाख शिशु आईवीएफ (IVF) के जरिए पैदा होते हैं।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के लिए खुद को तैयार कैसे करें? (Preparing for IVF Treatment in Hindi)
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के लिए खुद को तैयार करना बहुत ज़रूरी है आइये जानते है कुछ विशेष महत्वपूर्ण बिंदुओं को विस्तार से।
जिसमें सबसे पहले है:-
- मानसिक तौर पर खुद को तैयार करें – आईवीएफ (IVF) शब्द आपको सुनने में आसान लगता होगा पर यह उतना आसान प्रोसेस नहीं है,अगर किन्ही कारण वश आपको आईवीएफ(IVF) कराना पड़ रहा है तो मानसिक तौर पर खुद को प्रबल ज़रूर कर लें।
- तनाव को कम करने के लिए योग और ध्यान का अभ्यास करें।
- सहायक समर्थन के लिए परिवार और दोस्तों से बातचीत करें।
- स्थानीय डॉक्टर से सलाह लें- आईवीएफ (IVF) के लिए एक अच्छे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन सेंटर की तलाश कर ले जहाँ आपको अच्छे रिजल्ट्स देखने को मिले हो, उसके बाद आपके स्थानीय डॉक्टर से आईवीएफ की संभावना और तैयारी के लिए सलाह प्राप्त करें।
- स्वास्थ्य की देखभाल करें- अपने शरीर को शारीरिक तौर पर स्वस्थ रखें। अच्छे स्वास्थ्य के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें, स्वस्थ खानपान का पालन करें,हरी पत्तेदार सब्जियों तथा फलों का सेवन करें।
- अपने वज़न का ध्यान रखें- अच्छे स्वाथ्य के साथ-साथ अपने वज़न पर भी ध्यान देते रहें, अगर आप अच्छा प्रोटीन युक्त भोजन, मिनरल्स और विटामिन्स से भरपूर डाइट ले रहे है और अचानक से वजन ज़्यादा बढ़ने लगे या कम होने लगे तो तुरंत डॉक्टर्स से संपर्क करें
- तंबाकू और शराब का सेवन न करें-अगर आप सुखद मातृत्व जीवन चाहती है, तो धूम्रपान और शराब के सेवन से खुद को दूर रखें।
- नियमित दिनचर्या का पालन करें-सही समय पर सोने की और उठने की आदत डालें और व्यायाम ,प्राणायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें।
- पूर्व-गर्भाधान चिकित्सा संभावना -डॉक्टर की सुझावनुसार, आपको पूर्व-गर्भाधान चिकित्सा करानी पड़ सकती है जो आईवीएफ के प्रयासों को सफल बना सकती है। उसके लिए खुद को तैयार रखें।
- आईवीएफ के प्रक्रिया को समझें–आईवीएफ की पूरी प्रक्रिया को समझने के लिए डॉक्टर से सलाह लें और अपनी जानकारी को बढ़ावा दें।
- यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आप अपने डॉक्टर से सभी संभावनाओं और आवश्यकताओं के बारे में खुल कर चर्चा कर चुके है ताकि सही और सटीक दिशा में कदम बढ़ाएं जा सके।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) की आवश्यकता किस स्थिति में होती है? (In which situations is In Vitro Fertilization (IVF) required in hindi / IVF treatment in hindi)
आईवीएफ (IVF) इलाज से पैदा हुए शिशु को ‘टेस्ट ट्यूब बेबी’ भी कहा जाता है। आईवीएफ एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है, और इसमें ध्यान रखने के लिए कई महत्वपूर्ण बातें हैं।
एंडोमेट्रियोसिस और आईवीएफ उपचार (Endometriosis & IVF Treatment In Hindi)
एंडोमेट्रियोसिस एक प्रकार की ऐसी स्थिति या विकार है जिसमें महिला के शरीर में गर्भाशय के पास एक और नई झिल्ली विसकसित हो जाती है और यह झिल्ली सामान्य तौर पर या तो गर्भाशय के बाहर, गर्भाशय के पास, या अन्य शरीर के अंगों में हो सकती है जो फैलोपियन ट्यूब, अंडाशय, और गर्भाशय पर असर डाल सकते हैं।
रिसर्च के अनुसार एंडोमेट्रियोसिस से प्रभावित महिलाएं आईवीएफ के माध्यम से सुरक्षित रूप से गर्भधारण कर सकती हैं।
अस्पष्ट बांझपन और आईवीएफ उपचार (Unexplained Infertility & IVF Treatment In Hindi)
अस्पष्ट बांझपन, एक स्थिति है जिसमें महिला के गर्भाधान के ना होने कोई स्पष्ट कारण नहीं होता। यानी, चिकित्सक नहीं बता सकते कि इस बांझपन का कारण क्या है। इस स्थिति में, जोड़ी अविफल गर्भाधान के प्रयासों में होती है, लेकिन गर्भधारण नहीं होता।
इस समस्या के समाधान के लिए कई बार आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) जैसे तकनीकी उपायों का सहारा लिया जा सकता है।
यूटेराइन फाइब्रॉइड्स और आईवीएफ उपचार (Uterine Fibroids & IVF Treatment In Hindi)
फाइब्रॉइडस “गैर-कैंसरीय” होते है, जो की गर्भाशय के अंदर मांसपेशियों (Muscles) में होने वाले रूपरेखात्मक बदलाव (मोरफोलॉजिक्ल) के कारण होते हैं जिन्हे ट्यूमर या गांठ कहते है और संक्षिप्त में इन्हें फाइब्रॉइडस कहा जाता है और इसका सामना किसी भी महिला को प्रेगनेंसी या बेबी प्लान करने के दौरान पड़ सकता है।
परंतु रिसर्च के अनुसार यूटेराइन फाइब्रॉइड्स से पीड़ित महिला आईवीएफ की मदद से सफलतापूर्वक गर्भधारण कर सकती हैं। आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) एक उपचार विकल्प हो सकता है। आईवीएफ में, शुक्राणु और अंडाणु दोनों बाहर निकाले जाते हैं और फिर यह दोनों हाई एफिशिएंसी के साथ मिलाए जाते हैं ताकि गर्भाधान की कोशिशें की जा सकें।
ओव्यूलेशन से संबंधित विकार और आईवीएफ उपचार (Ovulation Disorders & IVF Treatment In Hindi)
ओव्यूलेशन एक महिला की शरीरिक प्रक्रिया है जिसमें अंडानुवांछना के समय अंडाणु किसी विशेष समय में उत्पन्न नहीं होता है, जिसके परिणाम स्वरूप गर्भधारण करना मुश्किल हो सकता है। इसमें महिलाओं के अंडाणु मात्रा या उत्पन्न होने की गति में अनियमितता होती है, जिससे गर्भाधान की संभावना में कमी होती है।
यह एक प्रजनन समस्या है जिसका समाधान आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) जैसे तकनीकी उपायों के माध्यम से किया जा सकता है।
फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉक या खराबी होना और आईवीएफ उपचार
(Blockage In Fallopian Tube & IVF Treatment In Hindi)
फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज या खराबी का होना एक प्रजनन समस्या है जिसमें महिला के फैलोपियन ट्यूब (जो अंडाणुओं को गर्भाशय की ओर लेता है) में किसी कारण से रुकावट आ जाती है या ट्यूब में खराबी होती है। जिसके परिणाम स्वरूप स्वाभाविक रूप से गर्भधान नहीं हो पाता है।
जिन महिलाओं को फैलोपियन ट्यूब में प्रॉब्लम होती है या उसमें किसी समस्या के कारण गर्भधारण करने में दिक्कत होती है, उनके लिए आईवीएफ एक बेहतर उपचार विकल्प के रूप में उपयुक्त है।
आनुवंशिक रोग और आईवीएफ उपचार (Genetic Disorder & IVF Treatment In Hindi)
आनुवंशिक विकार में व्यक्ति को विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करने में कठिनाई हो सकती है और कई बार इसका वास्ता शिशुओं और वंशजों के साथ जुड़ा भी होता है।
आनुवंशिक विकार एक प्रकार की स्वाभाविक या विकासात्मक अशान्ति है जो की आनुवंशिक व्यक्ति की जीवनशैली और फिजिकल हेल्थ को प्रभावित कर सकता है। उनके लिए आईवीएफ एक बेहतर उपचार है।
स्पर्म की गुणवत्ता में कमी होना और इसके साथ ही आईवीएफ उपचार (Low Sperm & IVF Treatment In Hindi)
यदि किसी पुरष में स्पर्म की मात्रा की कमी हो या कम संख्या के शुक्राणु हो जो ओवोलुशन के लिए बिल्कुल भी पर्याप्त न हो ऐसी कंडीशन में उन शुक्राणुओं का अंडाणुओं के साथ संगम करना मुश्किल हो सकता है।
इस प्रकार के बांझपन का इलाज करने के लिए, आईवीएफ के साथ-साथ आईसीएससी का भी सहारा लिया जाता है।
आईवीएफ उपचार से पहले पुरुष की जाँच (Tests For Man Before IVF Treatment In Hindi)
आईवीएफ उपचार/ट्रीटमेंट (IVF Treatment In Hindi) शुरू करने से पहले, प्रजनन विशेषज्ञ कुछ विशेष प्रकार की जांचें करने का सुझाव देते हैं और इसके पूर्व, पुरुष को निम्नलिखित जांचों से गुजरना होता है।
जो निम्नलिखित हैं…
- (वीर्य विश्लेषण) सीमेन एनालिसिस
- हॉर्मोन टेस्टिंग
- वासोग्राफी
- जेनेटिक टेस्टिंग
- अल्ट्रासाउंड
- एमआरआई
- टेस्टिकुलर बायोप्सी
इन सभी जांचों का परिणाम प्राप्त होने के बाद, डॉक्टर महिला की जाँच करते हैं।
आईवीएफ उपचार से पहले महिला की जाँच
(Tests For Woman Before IVF Treatment In Hindi)
आईवीएफ (IVF) का ट्रीटमेंट(IVF Treatment In Hindi) शुरू करने के पहले पुरुष के साथ-साथ, महिला की जाँच भी की जाती है। इस जांच के माध्यम से डॉक्टर को बांझपन के सटीक कारण और अन्य संबंधित समस्याओं की पुष्टि करने में सहायता मिलती है।
डॉक्टर/चिकित्सक के साथ परामर्श (Consultation With Doctor For IVF Treatment In Hindi)
यह तो हम सभी जानते ही है की नार्मल तरीके से बच्चा पैदा करने या बेबी प्लान करने में अक्सर महिलाओं को ज्यादा तकलीफ नहीं उठानी पड़ती है, पर वही अगर आपको नॉर्मल तरीके से बेबी प्लान करने में कठिनाई हो रही है, तो आप प्रजनन विशेषज्ञ यानी फर्टिलिटी डॉक्टर (Fertility doctor in Hindi) से मिलते हैं और वह आपको आपकी मेडिकल हिस्टरी के आधार पर आईवीएफ प्रक्रिया (IVF Processin hindi) का सहारा लेने की बात समझाते है जिसमें डॉक्टर आपके सभी सवालों का उत्तर देंगे और आपकी सहायता करेंगे।
हो सकता है, कुछ विशेष परीक्षण की भी सलाह दें। जो आपको करवाना पड़े। सभी प्रकार के परीक्षणो से गुजरने के बाद की आईवीएफ प्रक्रिया (IVF Process in hindi) शुरू की जाती है।
ओवेरियन स्टिमुलेशन (Stimulation of Ovaries for IVF Treatment in Hindi)
देखा जाये तो हर महीने एक महिला की ओवरी से एक अंडा बहार निकलता है परन्तु यह आईवीएफ प्रक्रिया (IVF Process) के लिए पर्याप्त नहीं होता,ओवेरियन स्टिमुलेशन एक ऐसी चिकित्सा प्रक्रिया/तकनीक है जिसमें महिला के अंडाशय को प्रेरित करने के लिए महिला को विशेष दवाएं और इंजेक्शन्स दिए जाते है ताकि उसके अंडाशय में अधिक संख्या में अंडे उत्पन्न हो सकें। इससे आईवीएफ प्रक्रिया के लिए अधिक सफलता की संभावना बढ़ती है।
ओवेरियन स्टिमुलेशन का मेन उद्देश्य यह होता है कि एक समय में एक से अधिक संख्या में अंडे उत्पन्न किये जाए और उन्हें शुक्राणुओं के साथ मिलाकर भ्रूण का निर्माण हो सकें जिससे आईवीएफ की प्रक्रिया में अधिक उत्तर मिल सके।
आपको यह भी बता दे अंडाशय कोप्रेरित करने के लिए डॉक्टर महिला को 3-6 या 5-12 दिनों तक हार्मोनल दवाएं और इंजेक्शन प्रदान करते हैं। इसकी समय अवधि महिला की आयु और ओवरऑल स्वास्थ्य पर निर्भर करती है।
ट्रिगर इंजेक्शन (Administration of Trigger Injection in IVF Treatment in Hindi)
यह इंजेक्शन अंडाशय में परिवर्तन करने में मदद करता है। इस प्रक्रिया के बाद 33-36 घंटों में, डॉक्टर एग रिट्रीवल, जिसे अंडाशय से अंडे निकालने के लिए उपयोग किया जाता है, शुरू करते हैं।
अंडे निकालना (Egg Retrieval For IVF Treatment In Hindi)
आईवीएफ उपचार के लिए अंडे निकालना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन इन हिंदी ) ट्रीटमेंट के दौरान, डॉक्टर एक महिला के अंडाशय से अंडे निकालने के लिए एग रिट्रीवल प्रक्रिया को शुरू करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण स्टेज है जो महिला के शरीर से एक या एक से अधिक अंडे प्राप्त करने के लिए किया जाता एग रिट्रीवल प्रक्रिया या प्रोसेस की शरुआत विशेषज्ञ डॉक्टर द्वारा की जाती है। इसके लिए, महिला को स्थानीय या सामान्य एनेस्थिया दिया जाता है ताकि वह प्रोसीजर के दौरान आराम से महसूस करें।
इस प्रक्रिया में, डॉक्टर एक एग रिट्रीवल नीडल का उपयोग करके अंडाशय की दीवार को प्रवेश करते हैं और अंडे को धीरे-धीरे निकालते हैं। निकाले गए अंडे तत्काल लैब में भेजे जाते हैं, जहां उन्हें उपयुक्त प्रक्रिया के लिए तैयार किया जाता है।
स्पर्म लेना (Sperm Selection of IVF Treatment In Hindi)
आईवीएफ उपचार के लिए शुक्राणु का चयन किया जाता है आईवीएफ (इनविट्रो फर्टिलाइजेशन इन हिंदी ) ट्रीटमेंट के दौरान, शुक्राणु का चयन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया या प्रोसेस है जिसका उद्देश्य सही संख्या और स्वस्थ शुक्राणुओं को चयन करना होता है ताकि इन्हें एग्ग (अंडा) के साथ मिलाकर इनविट्रो फर्टिलाइजेशन के लिए उपयुक्त बनाया जा सके।
आपके लिए यह जनना भी ज़रूरी है कि जिस दिन एग निकाले जाते है उसी दिन सबसे हाइली एक्टिव शुक्राणुओं का चयन भी किया जाता है ताकि अच्छे रिजल्ट्स मिल सके।
शुक्राणु चयन प्रक्रिया/प्रोसेस में, लैब तक पहुंचे शुक्राणुओं को विश्लेषित किया जाता है। इसके लिए, शुक्राणुओं को एक विशेष प्रणाली में प्लेस किया जाता है, जिससे उनकी गति, आकार, और अन्य विशेषताओं को निरीक्षण किया जा सके।
फर्टिलाइजेशन (Fertilisation For IVF Treatment In Hindi)
आईवीएफ उपचार के लिए शुक्राणु का चयन किया जाता है आईवीएफ (इनविट्रो फर्टिलाइजेशन इन हिंदी ) ट्रीटमेंट के दौरान, शुक्राणु का चयन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया या प्रोसेस है जिसका उद्देश्य सही संख्या और स्वस्थ शुक्राणुओं को चयन करना होता है ताकि इन्हें एग्ग (अंडा) के साथ मिलाकर इनविट्रो फर्टिलाइजेशन के लिए उपयुक्त बनाया जा सके।
आपके लिए यह जनना भी ज़रूरी है कि जिस दिन एग निकाले जाते है उसी दिन सबसे हाइली एक्टिव शुक्राणुओं का चयन भी किया जाता है ताकि अच्छे रिजल्ट्स मिल सके।
डॉक्टर एक इनक्यूबेटर में (जिसे अंडे और शुक्राणु का जोड़ा बनाने के लिए उपयोग किया जाता है) अंडा और शुक्राणु को संग्रहित करते हैं।
भ्रूण का विकास करना (Development of Embryos in IVF Treatment in Hindi)
आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान, भ्रूण का विकास एक महत्वपूर्ण स्टेज है जो नवजात शिशु की उत्पत्ति की दिशा में कदम बढ़ाता है। इस स्टेज में संग्रहण और प्रदर्शन दोनों के रिजल्ट्स को देखा और परखा जाता है ताकि डॉक्टर/चिकित्सक शिशु के स्वास्थ्य की सबसे अच्छी देखभाल कर सकें।
आईवीएफ प्रक्रिया में, जब अंडाणुओं और शुक्राणुओं को संग्रहित कर एक साथ मिलाया जाता हैं तब फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया/प्रोसेस शुरू हो जाती है इसके बाद, उत्पन्न भ्रूण को इनक्यूबेटर में रखा जाता है जो उचित तापमान और महिला के गर्भाशय की जटिलताओं को ध्यान में रखता है।
भ्रूण स्थानांतरण करना (Implantation of Embryo in IVF Treatment in Hindi)
आईवीएफ उपचार के दौरान भ्रूण स्थानांतरण सबसे महत्वपूर्ण और आखरी स्टेज होती है आईवीएफ ट्रीटमेंट की इस स्टेज में, भ्रूण स्थानांतरण, उस समय किया जाता है जब विकसित भ्रूण गर्भाशय में स्थित होकर गर्भनाली की दीवार में स्थानांतरित/इम्प्लांट हो जाए, जिससे गर्भाधारण की प्रक्रिया शुरू हो सके।
यह स्टेज आईवीएफ के सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि सही समय और सही स्थान पर भ्रूण का स्थानांतरण होना आवश्यक है ताकि गर्भाधारण संभव हो सके।इस स्टेज में, स्पेशल डॉक्टर्स एक या एक से अधिक विकसित भ्रूणों को उच्चतम गुणवत्ता वाले भ्रूण को चयन करके गर्भनाली में स्थानांतरित करते हैं। इस प्रक्रिया को संग्रहण और लुट( collection and plunder) भी कहा जाता है।
यह एक छोटी प्रक्रिया है जिसे पूरा होने में 15-20 मिनट से अधिक समय नहीं लगता।
गर्भावस्था की जाँच करना (Pregnancy Testing Following IVF Treatment in Hindi)
यह सबसे अंतिम और आखरी स्टेज होती है लगभग 2 से 3 सप्ताह बाद आपको डॉक्टर से मिलना होता है जिसमे वह ब्लड/खून की जाँच करते है जिससे पता लगाया जा सके एचसीजी (hCG) की कितनी मात्रा आपके शरीर में है।
अगर आईवीएफ उपचार के बाद गर्भावस्था की जाँच पॉसिटिव आती है तो यह उन कपल के लिए बहुत ही ख़ुशी का क्षण होता है इसके बाद डॉक्टर उचित दवाइयाँ लेने का सजेशन देते है जिससे शिशु पूर्ण विकसित हो सके और आईवीएफ उपचार की प्रक्रिया कम्पलीट हो सके।
इन सभी स्टेजो से गुजरने के बाद की आईवीएफ उपचार की प्रक्रिया/ प्रोसेस (IVF Process/prkriya in hindi) पूर्ण होती है।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के फायदे/लाभ (Benefits Of IVF Treatment In Hindi)
आईवीएफ उन सभी माता पिता के लिए वरदान है जो माँ बाप बनने से चिंतित थे। पर आज के इस आधुनिक युग में कुछ भी असंभव नहीं है, आइये जानते है इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के फायदे/लाभ के विषय में जो निम्नलिखित है।
- बांझपन का समाधान: आईवीएफ उपचार से बांझपन की समस्या का समाधान हो सकता है।
- अंडाशय स्वास्थ्य में सुधार: ओवेरियन स्टिमुलेशन से अंडाशय को स्वस्थ बनाए रखने में मदद हो सकती है।
- शुक्राणु चयन: आईवीएफ से शुक्राणु का चयन होने से उपचार की सफलता में मदद होती है।
- गारंटीत प्रेगनेंसी: आईवीएफ से गर्भाधारण की संभावना को बढ़ाया जा सकता है।
- जननांग संबंधित समस्याओं का समाधान: आईवीएफ से जननांग संबंधित समस्याओं का समाधान हो सकता है।
- जीनेटिक स्क्रीनिंग: जीनेटिक स्क्रीनिंग से बच्चे की स्वास्थ्य की पूर्वानुमान हो सकती है।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के साइड इफेक्ट्स/जोख़िम (Side Effects Of IVF Treatment In Hindi)
आईवीएफ के जितने अधिक फायदे है उतने जोख़िम/हानियाँ भी हो सकती है आइये जानते है इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के साइड इफेक्ट्स/जोख़िम/नुकसान के विषय में जो निम्नलिखित है।
- उच्च खर्च: आईवीएफ उपचार आपके लिए आर्थिक रूप से भारी हो सकते हैं, क्योंकि यह कई प्रक्रियाओं और टेस्टों को शामिल करता है, जिनमें भारी इलाज की लागत शामिल होती है।
- मानसिक तनाव: आईवीएफ का उपचार मानसिक तनाव और दबाव का कारण बन सकता है, खासकर जब उपचार की सफलता में कोई देरी होती है या समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
- एकाधिक गर्भाधारण की संभावना: आईवीएफ के उपचार के बाद, एकाधिक गर्भाधारण की संभावना बढ़ सकती है, जिससे स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- तनाव, कब्ज और हल्के क्रैम्प्स: आईवीएफ उपचार के दौरान महिलाओं को तनाव, कब्ज, और हल्के क्रैम्प्स की संभावना हो सकती है
- जन्म के समय शिशु का वजन कम होना: आईवीएफ से प्राप्त गर्भधारण के दौरान, शिशु का वजन कम होने की संभावना हो सकती है, जिसके लिए डॉक्टर की निगरानी में विशेष ध्यान देना आवश्यक है।
- हेवी वेजाइनल ब्लीडिंग: गर्भधारण के दौरान आईवीएफ से हेवी वेजाइनल ब्लीडिंग का सामना हो सकता है, जिसे तुरंत डॉक्टर से साझा करना चाहिए।
- दस्त और मतली: उपचार के कारण कई महिलाएं दस्त और मतली की समस्याओं का सामना कर सकती हैं, जिसके लिए उचित परहेज और उपचार की आवश्यकता हो सकती है।
- पेडू में दर्द और पेशाब में खून: आईवीएफ के दौरान पेडू में दर्द और पेशाब में खून का सामना हो सकता है, अगर ऐसा हो तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
(Things To Do After IVF Treatment In Hindi)
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के बाद सावधानियाँ (Precautions after In Vitro Fertilization (IVF) in hindi)<
आईवीएफ के बाद सावधानियाँ निम्न है कृपिया इन्हे ध्यान में रखें।
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- आराम और विश्राम:आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद, शारीरिक और मानसिक तौर पे खुद को रिलैक्स रखना चाहिए ,आराम करने का पूरा समय लेना चाहिए, ताकि शरीर और मन को पूरी तरह से आराम मिल सके।
- डॉक्टर की सलाह: डॉक्टर की सलाह पर नियमित रूप से निरीक्षण के लिए जाना चाहिए ताकि उपचार की प्रगति को निगरानी में रखा जा सके।
- स्वास्थ्य का ध्यान: आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद,उचित पोषण, स्वस्थ खानपान, और स्वस्थ जीवनशैली का पालन करना चाहिए ताकि गर्भधारण में कोई दिक्कत ना हो सके।
- अवसाद और तनाव से बचाव: आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान और उसके बाद भी मानसिक तौर पर खुद का ख्याल रखने के साथ-साथ डिप्रेशन/अवसाद और तनाव से अपने आप को बचाना महत्वपूर्ण है, इसके लिए योग और मेडिटेशन का अभ्यास करना चाहिए जो आपकी सेहत के लिए फायदेमंद होगा ।
- नियमित फॉलो-अप: आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान डॉक्टर के साथ नियमित फॉलो-अप और आवश्यक टेस्टों का पालन करना आवश्यक है ताकि यदि दिक्कतें हों, तो समय पर पहचाना जा सकें और उनका सही समय पर सही इलाज कर ठीक किया जा सकें।
- सेक्स से बचे – अगर हो सके तोआईवीएफ के बाद संभोग/सेक्स करने से बचे क्यों कि यह बहुत ही महंगी और विभिन्न प्रकार के टेस्टो से गुजर कर सक्सेस को हासिल करने वाली प्रणाली है, जिसमे आप एक स्वस्थ शिशु की चाह रखते है ज़रा सी लापरवाही आपके लिए भरी पड़ सकती है।
- नशीले पेय पदार्थो एवं धूम्रपान करने से बचे – अनियमित रूप से या बीच-बीच में नशीले पदार्थो का सेवन करने से खुद को बचाए।
- मांसहारी भोजन बिलकुल न करे।
- भारी सामान की उठा पिटक करने से बचे।
- सप्ताह में कभी कबार ही नहाए।
आईवीएफ उपचार के पश्चात, आपमें कई भावनात्मक और शारीरिक परिवर्तन हो सकते हैं। यदि आपको किसी भी प्रकार की चिंता या सवाल हो, तो कृपया अपने चिकित्सक या डॉक्टर से संपर्क करें और उन्हें अपनी समस्याओं के बारे में बताए और इसके निवारण के बारे में जाने।
आपके सवाल जवाब (Answers to your questions)
1. आईवीएफ का खर्च कितना होता है ?
आईवीएफ (IVF) का खर्च व्यक्ति और क्लीनिक के बीच भिन्न हो सकता है और यह कई कारणों पर निर्भर करता है, जैसे कि स्थान, उपचार की आवश्यकता, डॉक्टर की फीस, और विशेष चिकित्सा सुविधाएं। सामान्यत: आईवीएफ का खर्च लाखों रुपये तक हो सकता है।
2.आईवीएफ (IVF) कैसे किया जाता है?
आईवीएफ (IVF) एक ऐसी तकनीक है जिससे बच्चा पैदा करने में मदद मिलती है। इसमें, महिला को एक विशेष प्रकार की दवाएं या इंजेकशन्स दिए जाते है ताकि उसके अंडाशय से ज्यादा अंडे बनें। फिर ये अंडे निकाले जाते हैं और पुरुष के शुक्राणु से मिलाए जाते हैं। इन अंडों और शुक्राणुओं को मिलाकर एक छोटा शिशु/बेबी/भ्रूण बनाया जाता है। फिर यह भ्रूण महिला के गर्भ में डाला जाता है ताकि वह गर्भाधारण कर सके। इस पूरी प्रक्रिया को आईवीएफ कहा जाता है।
3.आईवीएफ (IVF) में स्पर्म किसका होता है ?
आईवीएफ (IVF) में स्पर्म पुरुष का होता है। यह वह शुक्राणु होते हैं जो पुरुष के शुक्राणुसर्ग से प्राप्त किए जाते हैं और उन्हें उपयुक्त स्थान पर रखा जाता है ताकि उनका अंडानुक्रमण हो सके। इस प्रक्रिया में हाइली उत्तेजित शुक्राणु का चयन किया जाता है, और फिर यह स्पर्म अंडे के साथ मिलाया जाता है ताकि फर्टिलाइजेशन हो सके और एक भ्रूण बन सके।
4.आईवीएफ (IVF) करने की ज़रूरत कब पड़ती है ?
आईवीएफ (IVF) करने की जरूरत तब हो सकती है जब इन सभी चीजों की कमी होगी जैसे-
बांझपन (Infertility): जब किसी युवा स्त्री या पुरुष को बांझपन का सामना करना पड़ता है और उन्हें प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं हो पा रहा हो, तो आईवीएफ का विकल्प पर विचार किया जा सकता है।
अंडानुक्रमण या अंडानुबंधन में समस्या: जब पुरुष के शुक्राणुओं का अंडानुक्रमण या अंडानुबंधन में समस्या होती है, तो इसमें सहायता के लिए आईवीएफ का इस्तेमाल किया जा सकता है।
अंडाशय के समस्याएं: महिलाओं में अंडाशय संबंधित समस्याएं, जैसे कि पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) या अंडाशय की अच्छी तरह से काम न करने की समस्या, आईवीएफ को एक विकल्प बना सकती है।
शुक्राणुओं की कमी: अगर पुरुष के शुक्राणु संख्या कम है तो आईवीएफ का उपयोग किया जा सकता है।
गर्भाशय में समस्या: गर्भाशय की समस्या, जैसे कि गर्भाशय के अंदर गांठें या गर्भाशय की नसें, भी आईवीएफ को आवश्यक बना सकती है।
इन मामलों में, डॉक्टर आईवीएफ को एक संभावना के रूप में समझेंगे और इसे करवाने का सुझाव देंगे।
5.इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के लिए फर्टिलिटी डॉक्टर का चयन कैसे करें ?
आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) के लिए फर्टिलिटी डॉक्टर का चयन या चुनाव करते समय यह ध्यान रखे कि आप कुशल और विशेषज्ञ चिकित्सक का चयन कर रहे हो ।
डॉक्टर का चयन करते समय उनके अनुभव, योग्यता, और उनकी सफलता दर का मूल्यांकन करें, साथ ही उनसे विस्तृत चर्चा करें ताकि आप अपने चिकित्सा योजना को समझ सकें और विशेषज्ञ की सुझावों का उपयोग कर सकें।
एक सच्चे और सहानुभूति भरे संबंध में विश्वास रखना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस यात्रा में सहयोग और समर्थन भी आवश्यक होता है।
आईवीएफ की जटिलताओं के अलावा, कुछ मामलों में आईवीएफ के गंभीर नुकसान (ivf k nuksaan) भी हो सकते हैं। इसमें मुख्य रूप से:
- जन्मजात दोष से पीड़ित शिशु
- ओवरी में कैंसर का हो जाना
- गर्भपात का ख़तरा
- एक्टोपिक प्रेगनेंसी की संभावना
- प्रसव का समय से पहले हो जाना
- ओवेरियन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम आदि।
आशा है आपको इस आर्टिकल में आईवीएफ (IVF) से सम्बंधित लगभग सभी जानकारियाँ प्राप्त हो चुकी होंगी, आपके सवाल जवाब सेक्शन में हमने उन्ही प्रश्नो के जवाब आप तक पहुँचाए है जो अक्सर आपके मन में होते हैं।
अगर आपके पास कोई अन्य सुझाव और टिपण्णी हैं, तो कृपया हमसे जरूर साझा करें। हम आपके साथ हैं और आपके सारे सवालों के जवाब आप तक लाने की पूरी कोशिश करेंगे।